किशोरावस्था का आगमन…

बढ़ते बच्चों के लिए,किशोरावस्था एक कठिन , पेचीदा और भ्रमकारी समय माना  गया है। वे कई तरह के नए विचार, विचित्र संवेदना व् अद्भुत अनुभूति महसूस करते हैं। अचानचक ही लड़कों की  लड़कियों में और लड़कियों की  लड़कों  में दिलचस्पी कुछ ज़्यादा बढ़ जाती है; वे एक दुसरे के लिए सुंदर दिखना चाहते हैं, अपने को सजा सँवरा रखने की कोशिश करते हैं। 

लड़कियां अपने कपड़ों पर, बाल सवारने  पर, मेकअप पर ध्यान देने लगती हैं; एक छोटा सा पिम्पल भी उनकी नींद उड़ा देता है।  

लड़के भी पीछे नहीं रहते, बॉडी मज़बूत करने, डिओडोरेंट लगाने, लड़कियों को प्रभावित करने के चक्कर में पड़ने लगते हैं। 

चाल ढाल सब में एक मनमोहक बदलाव आ जाता है, लड़कियों का लड़कों को शर्मीले अंदाज़ में देखना, लड़कों का मरदाना सा वर्ताव, यह सब इशारा है कि अब किशोरावस्था का आगमन हो गया है, आपकी अपनी सेक्सुअल पहचान बन रही है और आप दूसरे सेक्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं।  और अगर कोई पसंदीदा लड़का या लड़की, एक छोटी सी हेलो बोल दे या पास आ कर बैठ जाये तब तो जो ख़ुशी मिलती है उसका वर्णनन भी मुश्किल है, पढाई में मन नहीं लगता, रात को नींद नहीं आती, बस बार बार वही दृश्य सामने आता है। 

यह  बदलाव केवल हम मनुष्य में ही नहीं , पशुपक्षियों में भी देखा जा सकता है — 

कभी गौर करिये कैसे एक मोर अपने सुंदर पंख फैला कर नाचता है मोरनी को आकर्षित करने के लिए। कैसे आपका पालतू कुत्ता खाना पीना छोड़ कर, दिन रात कूँ कूँ करता है और बाहर भागने की कोशिश करता है एक मजनू की तरह, जब कोई मादा कुत्ता गर्मी में होती है व् साथी की खोज कर रही होती है।  

यह सब प्रकृति का कमाल है— 

कुछ नया नहीं है, सदियों से चला आ रहा है ; किन्तु हाँ जो इस दौर से गुज़र रहा है उसके लिए एक बिलकुल नया एहसास, एक मादक  पड़ाव है ज़िंदगी का ! हर कोई अपने समय पर इस अवस्था से गुज़रता है; आपके माता पिता, आपके शिक्षक , दादी दादा, नाना नानी , पड़ोस के बूढ़े अंकल — सभी !  

किशोरावस्था के आगमन पर बहुत से होर्मोनेस बनते हैं —

होर्मोनेस देते हैं आँखों को चमकीलापन, त्वचा को  निखार, बालों में दमक,  शारीरिक आभा और खूबसूरती। ये सब आकर्षण प्रकृति प्रदान करती है दुसरे सेक्स को प्रभावित करने के लिए। 

अब यह आप पर निर्भर है कि आप इसे कैसे अपने को उत्तम बनाने में इस्तमाल करते हैं। 

माना  कि समय बहुत बदल गया है, समाज बदल रहा है, हमारी ज़िंदगी से अपेक्षाएं बदल रही हैं , बहुत कुछ अलग है पिछली पीढ़ी से किन्तु अभी भी बहुत कुछ पहले जैसा ही है। 

भोलापन अच्छा है किन्तु अज्ञानता काफी भारी पड़ सकती है।

गलत, अधूरी  जानकारी  खतरनाक हो सकती है ,जो कई बार दोस्तों से, बड़े बूढ़ों से या फिर इंटरनेट से खास कर संदिग्ध साइट्स से प्राप्त की गयी हो। यही समय है  जब किशोर /किशोरियों को उनके शाररिक विकास , मानसिक विकास और यौन शिक्षा की  सही, वैज्ञानिक  व् प्रामाणिक जानकारी दी जानी  चाहिए। 

ये जानकारी मातापिता या स्कूल में शिक्षक दे सकते हैं। यदि आप ध्यान से  पढ़ें/ समझें तो आप अपने बच्चों को सही समय पर सही सलाह दे पाएंगे।

इसे एक और प्रयास समझें अपने बच्चों से दोस्ती बनाये रखने का। 

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